भू-जल स्तर बढ़ाने का सबसे सस्ता और प्रभावशाली उपाय है रेतीली नदियों और नालों में मिट्टी का डाइक बनाना: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

छत्सीसगढ़ राज्य ब्यूरो /रायपुर

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में भू-जल स्तर में वृद्धि के लिए रेतीली नदियों और नालों में उपयुक्त स्थान पर डाइकवाल बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर बढ़ाने का यह सबसे सस्ता और प्रभावशाली उपाय है। नदी-नालों के रेतीले पाट में मिट्टी का डाइकवाल बनाने से पाट के अंदरूनी सतह में पर्याप्त मात्रा में जल संग्रहित होता है, जिसकी वजह से ऐसे नदी-नालों के किनारे स्थित गांवों में गर्मी के दिनों में भी हैण्ड पम्प, नलकूप और कुओं का जल स्तर बना रहता है और उस इलाके के भू-जल स्तर में भी वृद्धि होती है। मुख्यमंत्री ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जल संसाधन एवं वन विभाग के अधिकारियों को ऐसे नदी-नालों को चिन्हित कर उपयुक्त स्थानों पर डाइकवाल निर्माण की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में जल संसाधन, वन एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। बैठक में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती रेणु जी पिल्ले, प्रमुख सचिव वन श्री मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री प्रसन्ना आर, सचिव जल संसाधन श्री अविनाश चंपावत, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि नदी-नालों के रेतीले पाट में कम खर्च में डाइकवाल का निर्माण कर भू-जल स्तर को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नदी और नालों में डाइकवाल का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि उसकी ऊंचाई नदी-नाले के सतही हिस्से से कम से कम एक फीट कम हो, इससे डाइकवाल को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नदियों और नालों पर निर्मित कई ऐसे स्टापडेम, डायवर्सन है, जहां पानी का ठहराव नहीं होता है, वहां भी डाइकवाल के निर्माण किया जाना लाभदायक होगा और डिसिल्टिंग की समस्या भी कम होती है।
क्या होता है डाइकवाल:- डाइकवाल एक ऐसी संरचना है, जिसका निर्माण नदी-नालों के रेतीले पाट वाले हिस्से में सतह के नीचे किया जाता है। इसमें नदी-नालों के पाट में लगभग 5-6 फीट चौड़ी और 9-10 फीट गहरी नहर नुमा संरचना बनाई जाती है। फिर इसमें पॉलीथीन शीट बिछा दी जाती है। इस नहरनुमा संरचना में मिट्टी के लोंदे का भराव किया जाता है, जिससे नदी के एक पाट से लेकर दूसरे पाट तक भूमिगत दीवार नुमा संरचना बन जाती है। इसे प्लास्टिक शीट से पूरी तरह कव्हर करके इसके ऊपरी हिस्से पर रेत का भराव कर दिया जाता है। यह संरचना नदी के पाट में दिखाई नहीं देती। इसके ऊंचाई नदी की सतह से एक फीट नीचे होती है, ताकि पानी के बहाव से यह संरचना क्षतिग्रस्त न हो। डाइकवाल के बनने से नदी के अंदरूनी हिस्से से जल का रिसाव रूकेगा, जिससे भू-जल स्तर बढ़ता है। आसपास खेतों में नमी और हरियाली बनी रहती है। भूमि में नमी बने रहने के कारण जायद और रबी की फसलों की सिंचाई में कम पानी लगता है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



जवाब जरूर दे 

सरकार के नये यातायात नियमों से आप क्या है ? जवाब जरूर दे ,

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Close
Website Design By Bootalpha.com +91 82529 92275
.