सभी गौठानों में सुनिश्चित हो हरे चारे की उपलब्धता: श्री भूपेश बघेल

राज्य ब्यूरो रिपोर्ट छत्तीसगढ़/

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में बनाए गए गौठानों में पशुओं के लिए हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्ययोजना बनाकर काम करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि गौठानों में चारागाह के लिए आरक्षित भूमि पर अनिवार्य रूप से नेपियर घास लगाई जाए। इसी तरह वन विभाग वनों में घास लगाने का काम सर्वाेच्च प्राथमिकता से करे और यह भी सुनिश्चित करे कि वनों से हरा चारा गौठानों तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने गौठानों में चारे के साथ, मवेशियों के लिए पानी और शेड बनाने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में गोधन न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, लघु वनोपज, फलदार और औषधीय पौधों का रोपण, प्रसंस्करण, विपणन और सड़क किनारे वृक्षारोपण की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि एक जुलाई को गांवों में रोका छेका का आयोजन किया जाए, जो गौठान समितियां सक्रिय नहीं है, उनका पुनर्गठन किया जाए, विकासखण्ड स्तर पर गौठान समितियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए और जो गौठान अधूरे है, उन्हें प्राथमिकता से पूरा किया जाए।
कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव श्री शिशुपाल शोरी, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन श्री मनोज कुमार पिंगुआ, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ एम. गीता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, विशेष सचिव कृषि डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक कृषि श्री यशवंत कुमार, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एस. के. पाटिल बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में हरे चारे का उत्पादन, वनों से गौठानों तक हरा चारा पहुंचाने और चारे की कटाई की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। हरा चारा उपलब्ध होने से मवेशी गौठानों में जाएंगे, चारा मिलने से दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि नेपियर घास के बीज, सिंचाई और मनरेगा से रोपाई की व्यवस्था की जाए। यह भी ध्यान रखा जाए कि चारागाह में काम करने वालों की आय बाड़ी या गौठान में काम कर रहे दूसरे स्व-सहायता समूहों से कम न हो। बैठक में जानकारी दी गई कि गौठानों मंे स्व-सहायता समूहों द्वारा लगभग 6 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 2 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। इसमें से 3 लाख 56 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 32 हजार 656 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है। प्रदेश में 10 हजार 57 गौठानों की स्वीकृति दी गई है, जिनमें 5 हजार 820 गौठान सक्रिय है। श्री बघेल ने कहा कि गौठानों को स्वावलंबी बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाए। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत खरीदे जाने वाले गोबर, उससे बनाई जा रही वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट तथा इनके विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि का हिसाब रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुगंधित धान की जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उनका उत्पादन कर रहे समूहों को मिनी राईस मिल अनुदान पर दी जाए साथ ही उन्हें पैकिंग का प्रशिक्षण दिया जाए। सुगंधित धान की मार्केटिंग के लिए जिला कलेक्टरों के माध्यम से कम्पनियों के साथ एग्रीमेंट किया जाएं। उन्होंने कृषि विभाग को सुगंधित धान की विभिन्न किस्मों के सर्टिफिकेशन की व्यवस्था करने और सर्टिफिकेट किसानों को घर पहुंचाकर देने के निर्देश दिए। इससे किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलेगा। श्री बघेल ने कहा कि राजीव गांधी न्याय योजना के तहत धान के बदले दूसरी फसल लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए। मक्के की खेती को बढ़ावा दें। उन्होंने कोण्डागांव में स्थापित मक्का प्रसंस्करण संयंत्र को समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने बैठक में खाद-बीज के वितरण की स्थिति की समीक्षा भी की। बैठक में जानकारी दी गई कि केन्द्र द्वारा छत्तीसगढ़ की जरूरत के अनुपात में केवल 33 प्रतिशत डीएपी और यूरिया खाद उपलब्ध कराई गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट को बढ़ावा दिया जाए। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि रासायनिक खादों की जमाखोरी रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि किसान वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का अच्छा उठाव कर रहे हैं। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना की समीक्षा के दौरान श्री बघेल ने कहा कि हर विकासखण्ड में फलदार वृक्षों की चार से पांच प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाए। जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में नल से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। हर घर की बाड़ी में भी लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे घर के गंदे पानी का पौधों की सिंचाई में उपयोग हो सकेगा, वहीं फलों से लोगों की आय भी बढ़ेगी। इसके लिए उद्यानिकी, वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग समन्वय से कार्ययोजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान के बदले दूसरी फसल लेने वाले तथा वृक्षारोपण करने वाले किसानों को पंजीयन के लिए एकीकृत वेबसाइट बनाई जाए, जिससे योजना की प्रगति की निगरानी में सहूलियत होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन और लाख उत्पादन को खेती का दर्जा दिया गया है। अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मत्स्य पालन और लाख का उत्पादन करने वाले किसानों को दूसरे किसानों की भांति शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध हो, उनके किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाए और मछली पालन करने वाले किसानों को भी 7500 यूनिट तक बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि लाख की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है। वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त किसानों को लाख के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बैठक में बताया गया कि मत्स्य उत्पादक किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर 3 लाख रूपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि, उद्यानिकी और मत्स्य पालन महाविद्यालय के छात्रों की इंटर्नशिप गांवों में किसानों के साथ कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि किसानों के खेतों और वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त लोगों की भूमि पर मनरेगा से तालाब बनाए जाए, जिससे उन्हें सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और वे मछली पालन कर सके। बैठक में जानकारी दी गई कि कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी की तैयारी हो चुकी है। कोदो, कुटकी के उत्पादन ओर वैल्यूएडिशन में तकनीकी सहयोग तथा बीजों की उपलब्धता के लिए आईआईएमआर हैदराबाद के साथ अनुबंध किया गया है। कांकेर जिले में कोदो, कुटकी और रागी के केन्द्रीय भण्डारण तथा प्रसंस्करण के लिए भूमि का चिन्हांकन कर लिया गया है। बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले दो वर्षाें में 309 सड़कों में 1610.23 किलोमीटर लम्बाई में 6 लाख 88 हजार 950 पौधे रोपे गए हैं। राम वन गमन पथ की 119 सड़कों में 575.96 किलोमीटर की लम्बाई में 1 लाख 70 हजार 190 पौधों का रोपण किया गया है। इसी तरह 56 नदियांे के तट पर 1832.40 हेक्टेयर क्षेत्रफल और 45.75 किलोमीटर लम्बाई में 20 लाख 50 हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं।

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