मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस घटना को लेकर निर्दोषों को अपराधी साबित करने की तैयारी कर रहे हैं: मेयर राँची
राँची में चार जनवरी की शाम भारत माता चैक पर ओरमांझी में सिर कटी युवती के शव मिलने के बाद अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इस दौरा आदिवासी, हिन्दू संगठन व आम जनता विरोध-प्रदर्शन में शामिल थे। इस दौरान आंदोलन कर रहे लोगों व पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई थी। परंतु राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व्यक्तिगत खुन्नस को लेकर इस घटना को अलग रूप दे रहे हैं। उनकी नजरों में यह घटना सीएम के कारकेड को रोकने की बताई गई, जो अशोभनीय है। गुरुवार को ये बातें मेयर आशा लकड़ा ने कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस घटना को लेकर निर्दोषों को अपराधी साबित करने की तैयारी कर रहे हैं। वे आदिवासी,हिन्दू संगठनों व आमजनता के खिलाफ कार्रवाई करा रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस घटना को लेकर कई लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कर अब उनके घरों पर इश्तेहार चिपकाकर कुर्की करने की तैयारी की जा रही है। मेयर ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोची समझी साजिश के तहत हिन्दू विरोधी कार्य कर रहे हैं। निर्दोषों पर प्राथमिकी दर्ज कर राज्य सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के आंदोलन को कुचलने की तैयारी की जा रही है। मैं राज्य सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या इस राज्य में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों के साथ यही हस्र होगा। राज्य सरकार आम जनता की रक्षक है या भक्षक। क्या राज्य की जनता मुख्यमंत्री से न्याय की उम्मीद छोड़ दें।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को यह ज्ञात होने चाहिए कि सीएम के कारकेड की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस-प्रशासन की है। उस दिन पुलिस -प्रशासन की सूचना तंत्र फेल हुई थी। जब स्थानीय प्रशासन को ही यह जानकारी नहीं थी कि उस समय भारतमाता चैक से सीएम का कारकेड गुजरने वाले है, तो ऐसे हालात में आंदोलन करने वालों पर यह आरोप लगाना की वे सीएम के कारकेड को रोकने वाले थे, सरासर गलत है। मुख्यमंत्री को इस मामले में हठधर्मिता को छोड़ निर्दोषों को माफ कर देना चाहिए, न कि संबंधित लोगों के साथ-साथ उनके परिवार वालों को पुलिस-प्रशासन के माध्यम से धमकी दी जानी चाहिए।
मेयर ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी एमवी राव को इस्तेमाल कर अपना स्वार्थ पूरा किया है। राज्य सरकार के इशारे पर ही पूर्व डीजीपी ने गलत बयानबाजी की। आज इसका हस्र सभी के सामने है। राज्य सरकार ने दूध में गिरी मक्खी की तरह पूर्व डीजीपी एमवी राव को उनके पद से हटाकर नए डीजीपी की नियुक्ति कर दी। राज्य सरकार की इस करतूत से एक अच्छे आइपीएस अधिकारी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचा है। राज्य के आइएएस व आइपीएस अधिकारियों के लिए यह एक सबक है कि जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार में उनकी कोई अहमियत नहीं है। सत्त्ता की आड़ में में अधिकारियों के मान-मर्यादा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस निर्दोषों को टारगेट कर उन्हें अपराधी घोषित करने की तैयारी कर रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि संबंधित लोगों का न तो कोई आपराधिक इतिहास है और न ही उनकी ऐसी प्रवृति है। मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि इस मामले को तूल न देकर युवाओं के पक्ष में अपना बड़प्पन दिखाएं। रांची पुलिस ने जिन युवक-युवतियों व महिलाओं पर प्राथमिकी दर्ज की है, उसे वापस लेकर उनके भविष्य का निर्माण करें।
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