देश के शहरों में आवारा पशुओं का आतंक किसी जंगल की याद दिलाते हैं : डॉ॰ संग्राम

राष्ट्रीय मानवाधिकार / एंटि-करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के रा॰ स॰ / विधि सचिव डॉ॰
संग्राम सिंह ने गत दिवस उपरोक्त विचार चेंज मीडिया से मुखातिब होते हुए व्यक्त किए।
हरियाणा के तकरीबन शहरों में आवारा पशुओं का आतंक जारी है। आवारा पशुओं की भरमार
लोगों के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है। आवारा पशुओं की चपेट में आने से कई
लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आवारा पशुओं की वजह से कई बार वाहन चालक सड़क दुर्घटना
का शिकार हो चुके हैं। आवारा पशुओं के मालिकों के द्वारा पशुओं को यू हीं ही छोड़ दिया जाता
है। सांडों व जर्सी नस्ल के यंग गो वंश के हालात तो और भी दयनीय है। यह पशु सड़कों पर
घूमते रहते हैं। यही नहीं कई मार्गों पर गाय और अन्य आवारा पशु बैठे रहते हैं। जिसकी वजह
से यातायात बाधित हो जाता है। गौओं के लिए बनाई गौ शालाएँ भी नाकाफी हैं, और जो हैं
उनकी हालत खराब हैं। शहर में अधिकांश सेक्टरों, मुख्य मार्गों, चौक, मोहल्लों में आवारा पशुओं
का आतंक देखा जा सकता है। दरअसल, शहर की सड़क पर घूम रहे आवारा पशु और कुत्ते
दुर्घटनाओं का पर्याय बनते जा रहे हैं। जिसको लेकर जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्ययोजना नहीं
बनाई जा रही है। शिकायतें मिलने पर समय-समय पर आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए
अभियान चलाया जाता, ऐसा संबन्धित प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं। पर हकीकत इससे विपरीत
है। डॉ संग्राम ने चिंता जताते हुए कहा कि नारनौल शहर भी इस आतंक से अछूता नहीं है।
शहर का कोई इलाका नहीं जहां ये अपनी मटटरगश्ती करते न नज़र आएँ। कई राहगीर इन
पशुओं की वजह से घायल हो चुके हैं। ये समस्या किसी एक शहर की नहीं है बल्कि देश का
शायद ही कोई शहर इस जन समस्या से अछूता हो। संबन्धित अमले व सरकार से आमजन
को इस जन समस्या से छुटकारा दिलाना चाहिए ताकि भविष्य में बेकसूर लोगों की जान और
माल की सुरक्षा हो सके। उन्होने कहा कि आवारा पशुओं के बारे में कोई ठोस नीति व समाधान
की जरूरत है, ताकि इंसान और जानवर बेकोफ “एक्जिस्ट” कर/रह सकें।

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