देश भक्ति हमारे नारों में ही नहीं, हमारे कार्यों में भी झलके -डॉ॰ संग्राम

ब्यूरो चीफ़, गुरुग्राम (हरियाणा) / दी चेंज न्यूज़

उपरोक्त विचार डॉ॰ संग्राम सिंह जो राष्ट्रीय मानवाधिकार / एंटि-करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के रा॰ स॰ / विधि सचिव हैं, ने आज की “ छदम राष्ट्र भक्ति “ के बारे में गत दिवस चर्चा के दौरान व्यक्त कर रहे थे । उन्होने कहा की इस मिशन में रेखा यादव, अर्थशास्त्री डॉ॰ ओम प्रकाश भी उनके साथ हैं। उन्होने ने भी इस “ अभियान ” में लोगों को जागरूक करने में सहयोग दिया। डॉ॰ संग्राम ने बताया की एक लोकतांत्रिक देश में हर नागरिक को सरकार का विरोध करने का पूरा हक़ है। हमें हक़ है सरकार से सवाल करने का, सरकार का विरोध करने का हमें हक़ है सरकार की निंदा करने का। सरकार की जनता के प्रति जबावदेही है लेकिन सरकार की जबावदेही है तो जनता की भी राष्ट्र के प्रति कुछ जिम्मेदारी हैं। संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं तो हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं। हम हमेशा अपने अधिकार तो हक़ से माँगते हैं लेकिन अपने कर्तव्य बार-बार याद दिलाने पर भी भूल जाते हैं। सरकार के फैसले पर सवाल उठाने का आपको पूरा अधिकार है लेकिन सिर्फ़ वहीं तक जहाँ तक आपके किसी कार्य से राष्ट्र की एकता,  सुरक्षा,  संप्रभुता और अखंडता पर कोई आँच ना आए। डॉ॰ संग्राम ने आगे कहा की ये कुछ उसी तरह है जिस तरह स्वतंत्रता और स्वछंदता में फ़र्क है। आपकी आज़ादी सिर्फ़ वहीं तक है, जहाँ तक आपकी आज़ादी से किसी दूसरे की आज़ादी में बाधा उत्पन्न ना हो। हम हर साल राष्ट्रीय दिवस जैसे की गणतन्त्र दिवस मनाते हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि हम भारतीय कहाँ खड़े हैं। हमारे सरकार से मतभेद हो सकते हैं लेकिन विचारधारा की लड़ाई के लिए हम राष्ट्रहित से समझौता नहीं कर सकते। क्योंकि यहाँ सवाल किसी पार्टी या विचारधारा का नहीं सवाल देश का है। एक घर में एक परिवार के बीच चाहे जितने मतभेद हों लेकिन किसी पड़ोसी से लड़ाई होने पर पूरा घर एक हो जाता है। तब आपसी मतभेद वाले भी एक धरातल पर एक साथ एक मुद्दे पर एकजुट होते हैं। उन्होने आमजन से आवाहन करते हुए कहा कि एक नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों को निभाना। अपने आस-पास साफ सफाई रखना, ट्रैफिक नियमों का पालन करना, एकता और सौहार्द बनाए रखना और पर्यावरण संरक्षण करना भी है। मुझे लगता है आज के दौर में हम किसी भी पद, किसी भी क्षेत्र में हो हमें कुछ मौकों पर देशभक्ति दिखाने की जगह हर वक़्त अपना काम जिम्मेदारी और ईमानदारी से करके देश भक्ति निभाने की जरूरत है। क्योंकि मात्र भारत माता की जय बोलने से ही भारत की विजय नहीं होगी। इसके अलावा और बहुत से सवाल हैं जो एक नागरिक को खुद से जरूर पूछने चाहिए। ये विसंगति ही है कि हम एक बेहतर समाज की कल्पना तो करते हैं लेकिन उस समाज के निर्माण में अपने ही कर्तव्य भूला देते हैं। क्योंकि ये सवाल हम खुद से कभी नहीं पूछते। हम कभी नहीं पूछते कि एक नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी हमने किस हद तक निभाई? क्या पूरे साल हमने ट्रैफिक नियमों का पालन किया? क्या कभी अपनी सुविधा के लिए कूड़ा सड़क पर ही फेंक दिया? क्या कभी बस में बेटिकट यात्रा की? क्या कभी पब्लिक प्लेस पर सिगरेट पी? हमने सोशल मीडिया का कितना सही इस्तेमाल किया? क्या कभी हमने कोई फेक मैसेज बिना सोचे समझे फॉरवर्ड तो नहीं किया? क्या हमारे वर्चुअल वर्ल्ड के किसी पोस्ट से हमारी रियल वर्ल्ड की शांति और अमन तो प्रभावित नहीं हुआ? जितने ज़रूरी ये सवाल हैं उतना ही ज़रूरी ईमानदारी से इनका जवाब देना भी है।
साल हर साल बदलता रहेगा, वक़्त का पहिया चलता रहेगा ।
देश जब बदलेगा जब हम बदलेंगे, वरना कुछ ना बदलेगा ।।

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