धरती पानी की बरबादी यानि जीवन को खतरा : डॉ॰ संग्राम

राष्ट्रीय मानवाधिकार / एंटि-करप्शन एवं क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के रा॰ स॰ / विधि सचिव डॉ॰
संग्राम सिंह ने गत दिवस उपरोक्त विचार चेंज मीडिया से मुखातिब होते हुए व्यक्त किए।
उन्होने कहा कि “जल ही जीवन है” के महत्व को शायद अच्छी तरह से लोग समझ नहीं पाये हैं। खुले
नलकों से व सड़कों पर पानी का बहना यहाँ आम बात है। हमारी धरती पर पीने का पानी बेहद कम है
जो हमारे लिए सबसे कीमती उपहार है। हमारे पास पृथ्वी पर पानी की प्रचुरता है, लेकिन पृथ्वी पर
पीने के पानी का प्रतिशत बहुत कम है। उन पानी का केवल 1% से भी कम उपयोग करने योग्य है।
महेन्द्र्गढ़ के कई गाँवो में और नारनौल शहर के विभिन्न हिस्सों में कमोबेश पानी की बरबादी नज़र
आयी। कई गाँवो में तो सार्वजनिक नलों के टैप ही गायब थे और मेन लाइन में रिसाव “जल जीवन
मिशन” की धज्जिया उड़ाते नज़र आए।
डॉ॰ संग्राम ने जल संरक्षन के छोटे- छोटे घरेलू उपाय बताए, जैसे की दाँत ब्रश करते समय नल बंद
करना, सिंक या शौचालय में एक छोटे से रिसाव को जल्दी से जल्दी रोकना, नहाने में कम पानी का
इस्तेमाल करना, आर ॰ ओ॰ के व्यर्थ पानी का पेड़ पौधों में पानी देकर , फर्श धोने में इस्तेमाल
किया जा सकता है।पानी की कमी सारी दुनिया की समस्या है, न की अकेली हमारे देश की । हमें न केवल अपने लिए
बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जल संरक्षण की जरूरत है।

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