रांची विश्वविद्यालय में महिला संवेदीकरण पर कार्यक्रम,डॉ रणधीर की पुस्तक का विमोचन।
राज्य प्रतिनिधि झारखंड/उमेश सिन्हा: 21 अक्टूबर 2024 को रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में महिला सुरक्षा संवेदीकरण कार्यक्रम ”शक्ति एंपावरिंग वूमेन” संपन्न् हुआ। यह कार्यक्रम *महिला शिकायत निवारण सेल,* रांची विश्वविद्यालय तथा आइक्यूएसी के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित था। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों श्रीमती ए विजयालक्ष्मी (आइजी, ट्रेनिंग झारखंड पुलिस), श्रीमती संध्या मेहता (डीआइजी सीआडी, झारखंड) को कुलपति ने सम्मानित किया तथा हाइकोर्ट की अधिवक्ता डॉ. वंदना सिंह को रांची विश्वविद्यालय आइक्यूएसी निदेशक डॉ. सुदेश साहु ने शाल देकर सम्मानित किया।
अपने संबोधन में माननीय कुलपति ने कहा कि भारत पुरूष प्रधान देश है, पर महिलाओं को सशक्त किये बिना हम आगे नहीं बढ सकते और यह तभी संभव होगा जब हम शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सही भागीदारी दें। मैं महिलाओं के योगदान और नारी शक्ती को प्रणाम करता हूं।
डा. अनीता ने अपने संबोधन में कहा कि सुरक्षा और सतर्कता हर मानव का अधिकार है। महिलाओं को शिक्षा के साथ अपना कैरियर बनाने पर जोर देना चाहिये। आज 30% छात्रायें किसी न किसी रूप से उत्पीड़न झेलती हैं। हम यह जानने की आवश्यकता है कि किन परिस्थितियों में रक्षक ही क्षक बन जाते हैं । डॉ. अनीता ने कहा कि उनकी निजी राय है कि छात्राओं को आत्मरक्षा के लिये मार्शल आर्ट सीखना चाहिये। उन्होंने कहा कि बेटी को चांद सा मत बनाओ कि सभी घूर कर देखें बल्कि सूरज की तरह बनाओ ताकि देखने वालों की आंखें झुक जायें।
श्रीमति संध्या मेहता ( डीआइजी सीबीआइ) ने अपने संबोधन में कहा कि हम आधी आबादी को असुरक्षित रख कर देश का विकास नहीं कर सकते हैं। महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ एक च्वायस नहीं बल्कि आवश्यकता है। नाबालिग लड़कियों के साथ अस्सी प्रतिशत अपराध परिचितों के द्वारा ही किया जाता है।लोगों को आगे बढ़कर इसकी शिकायत पुलिस से करनी चाहिये।
श्रीमति विजयलक्ष्मी ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि आज से दो तीन दशक भी महिला सुरक्षा की स्थिति चिंतनीय थी और आज भी हमें उसकी चिंता करनी पड़ती है। उन्होंने कानूनी प्रावधानों के अलावा महिलाओं को सेफ्टी टिप्स पर जोर देने की बात की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध में पुरूषों की संलिप्तता रहती है ऐसे में महिलाओं को कुछ बताने के बजाय पुरूषों को ट्रेनिंग देना आवश्यक है।
हाइकोर्ट की अधिवक्ता डा.वंदना सिंह ने कहा कि सबसे पहले तो महिलाओं को स्वयं में सशक्त होना होगा। महिला सुरक्षा के लिये सैकड़ो कानून हैं, पर उससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। फर्क समाज के सोच से पड़ता है आखिर दहेज जैसी कुप्रथा हमारे समाज की सोच के कारण ही है । आज महिलाओं के साथ अपराध या उत्पीड़न कहीं भी कभी भी हो सकता है।
इस अवसर पर डा.उषा किरण ने अपने हाथों से बनायी सावित्रि बाई फूले की मुर्ति कुलपति को भेंट की। कार्यक्रम में डा.रणधीर कुमार की लिखी किताब Gynocritocial Studies of the Selected Novels of Anita Nair का विमोचन माननीय कुलपति तथा विशिष्ट अतिथियों ने किया।
इस कार्यक्रम में महिला शिकायत निवारण सेल, रांची विश्वविद्यालय की डॉ. स्मृति सिंह, डॉ दिपाली डुंगडुंग, डॉ सुमित, वीमेंस कॉलेज की प्राचार्य डॉ सुप्रिया तथा विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक, तथा विभिन्न विभागों से आये सैकड़ो छात्र छात्रायें शामिल हुये।
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