सीसीएल कुजू क्षेत्र मुख्यालय से मिले लक्ष्य को हासिल करने में रहा नकाम करमा परियोजना का रिकॉर्ड रहा बेहतर
झारखण्ड ब्यूरो/उमेश सिन्हा
कुजू: सीसीएल कुजू क्षेत्र इस वर्ष भी मुख्यालय द्वारा मिले लक्ष्य को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रहा। जिसके कारण सीसीएल को काफी नुकसान उठाना पड़ा। सीसीएल कुजू क्षेत्र को 2021-22 में कोयला उत्पादन में 22 लाख मिट्रिक टन व ओबीआर में 55 लाख क्यूबिक मीटर लक्ष्य को प्राप्त करने का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें सीसीएल कुजू क्षेत्र के द्वारा कोयला में 12 लाख 70 हजार 550 मिट्रिक टन उत्पादन व ओबीआर 24 लाख 71 हजार 864 क्यूबिक मीटर ही निकाल पाया। सीसीएल कुजू क्षेत्र में मात्र दो परियोजना ही चालू है। जिसके कारण लक्ष्य को प्राप्त करने में क्षेत्र असफल रहा। 2021-22 में करमा परियोजना को मुख्यालय द्वारा 8 लाख टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें 8 लाख 30 हजार कोयला उत्पादन कर रिकॉर्ड हासिल किया। वहीं ओबीआर में 15 लाख 24 हजार 826 क्यूबिक मीटर निकालने का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें से परियोजना ने 15 लाख 1 हजार क्यूबिक मीटर ओबीआर निकाल पाया। तोपा परियोजना को कोयला उत्पादन में 12 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया। जिसमें परियोजना ने मात्र 4 लाख 97 हजार 425 टन कोयला उत्पादन किया। ओबीआर में 34 लाख क्यूबिक मीटर ओबीआर निकालने का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें मात्र 8 लाख 81 हजार 108 क्यूबिक मीटर ओबीआर निकाल पाया।
सात में पांच परियोजना है बंद
सीसीएल कुजू क्षेत्र अंतर्गत सात परियोजनाएं है। जिसमें करमा व तोपा छोड़ क्रमश: कुजू कोलियरी, सारूबेड़ा, पिंडरा, आरा, पुंडी बंद है। अगर सभी परियोजनाएं चालू होती तो लक्ष्य को पूरा करने में सफलता हासिल किया जा सकता था। परियोजनाओं के बंद के कारण स्थानीय लोगों को रोजगार से वंचित होना पड़ रहा है। कोई परियोजना में भूमि विवाद तो कोई में सीटीओ क्लिरियंस के कारण बंद पड़ा है। सीसीएल प्रबंधन भी अपनी ओर से काफी प्रयास कर रही है। फिर अभी तक पहल नहीं हो पाया है।
करमा परियोजना का रिकॉर्ड रहा बेहतर: महाप्रबंधक
इस संबंध महाप्रबंधक ने कहा कि परियोजनाओं के बंद होने से लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाये। हालांकि करमा परियोजना ने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता हासिल किया। जो काफी सराहनीय है। करमा परियोजना लक्ष्य को 5 दिन पूर्व ही हासिल कर लिया था. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वहीं तोपा परियोजना लक्ष्य को हासिल करने में पीछे रह गया। जिसका मुख्य कारण कई दिनों तक भूमि विवाद के कारण परियोजना को बंद करना व आउटसोर्सिंग कार्य भी धीमी गति से चलना।
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