एक बार फिर होने जा रही है,इस उद्योग की नियम विरुद्ध जनसुनवाई …
रायगढ़ ब्यूरो पीयूष पटनायक की रिपोर्ट
जिले के सुदूर वनांचल और पड़ोसी राज्य उड़ीसा की सीमावर्ती ग्राम जामगांव में स्थिति उद्योग m s p स्टील पुनः एक बार अपनी आगामी प्रस्तावित जन सुनवाई को लेकर चर्चा में है।
बताया जा रहा है कि यह जनसुनवाई आगामी 25 मार्च 2022 को सम्पन्न होनी है। इस जनसुनवाई को लेकर स्थानीय लोगों में विरोध की प्रबल भावना स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। उद्योग प्रबन्धन के कार्यशैली से स्थानीय ग्रामीण, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता पहले से ही नाराज है। उनका मानना है कि क्षेत्र में स्थापित आधा दर्जन अन्य उद्योगों की तुलना में msp स्टील पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाला उद्योग रहा है। इस उद्योग के संचालन के बाद से ही न केवल रायगढ़ जिले के दर्जनों गांवों में बल्कि पड़ोसी राज्य उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले के लगभग 10 गांवों में पर्यावरण प्रदूषण की समश्या गम्भीर होती चली गई है। ऐसे स्थिति में विवादित उद्योग को विस्तार की अनुमति मिलना संदेहास्पद है। जबकि क्षेत्र में हालात इस कदर बदत्तर हो चले हैं,कि उद्योग प्रबन्धन की लापरवाही से क्षेत्र के हवा-पानी में जानलेवा जहरीले रसायन घुल चुके है। हवा सांस लेने लायक नही रही तो नदी-नाले और तालाबों का पानी दूषित और उपयोग हीन हो चुका है। प्रदूषण मामलों के जानकारों की माने तो अगर msp इस्पात प्रबन्धन इसी ढंग से आगे भी इसी ढर्रे से उद्योग चलाते रहा तो आने वाले 10 सालों में उद्योग प्रभावित दर्जनो गांवों के रहने वाले लोग न केबल गम्भीर जानलेवा बीमारियों की चपेट में होंगे,बल्कि उनकी सिलसिलेवार मौतें भी होने लगेगीं। वर्तमान में उद्योग प्रभावित गांवों के लगभग सभी नदी-तलाब जलीय जीवों से मुक्त हो चुके हैं। पर्यावरण प्रदूषण कि में उद्योग की भूमिका को देखते हुए जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग ने msp उद्योग में तालाबन्दी करने का निर्णय लिया था।
पहले से ही विवादित उद्योग की जनसुनवाई का आधार क्या है.??
जनचेतना से जुड़े पर्यवारण विद राजेश त्रिपाठी की माने तो जिस उद्योग को खुद प्रशासन ने बन्द करने की सिफारिश की थी,तथा जिसकी अवैधानिक विगत जनसुनवाई जो 17.नवम्बर.2921 को होनी थी। उसे अंतिम दौर में कम्पनी प्रबन्धन ने टाल दिया था। अब आगामी 25 मार्च 2022 को वापस होने वाली इस उद्योग की जन सुनवाई का आधार क्या हो सकता है.? क्या कम्पनी प्रबन्धन ने जनसुनवाई के पूर्व सभी निर्धारित मापदंडों को पूरा कर लिया है?? क्या उद्योग प्रबन्धन के कृत्यों में तनिक भी सुधार नही आया है.वही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उद्योग के विस्तार प्रबन्धन ने जनसुनवाई के पूर्व पड़ोसी राज्य उड़ीसा शासन को जनसुनवाई की जानकारी दे दी है? क्या सुंदरगढ़ जिला प्रशासन से विधिवत अनापत्तियाँ ले ली गई है.? क्या उद्योग प्रबन्धन ने पड़ोसी राज्य उड़ीसा के प्रभावित ग्रामीणों के बीच प्रस्तावित जनसुनवाई की मुनादी करवा दी है.? क्या इन ग्राम पंचायतों से विधिवत आपत्तियां ले ली गई हैं.?? क्या जन सुनवाई के पूर्व उद्योग प्रबन्धन ने अपने फैलाये गए औद्योगिक अपशिष्टों(फ्लाई ऐश)से क्षेत्र को मुक्त कर दिया है.? क्या प्रबन्धन ने उन सभी ग्रामीणों को संतुष्ट कर लिया है,जो प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर प्रबन्धन के खिलाफ खड़े है.?? ऐसे तमाम सवालों के जवाब दिए बगैर क्या उद्योग की प्रस्तावित पर्यावरणीय जन सुनवाई वैध एवं विधि संगत होगी.? शायद नही फिर भी उद्योग प्रबन्धन और जिला प्रशासन रायगढ़ msp इस्पात की प्रस्तावित जन सुनवाई को सम्पन्न कराने के लिहाज से तैयार खड़ा है।
वही पर्यावरण और उद्योग मामलों में विशेषज्ञ सुश्री सविता रथ की माने तो एक तो उद्योग प्रबन्धन ने क्षेत्र के पर्यावरण को जिस तरह की गम्भीर क्षति पहुंचाई है उसे ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित जनसुनवाई का होना पूरी तरह से गलत है। आप सबने देखा है कि सालों से msp उद्योग के द्वारा उद्योग संचालन के दौरान खुले आम सरकारी नियमों की धज्जियां उठाई गई है। क्षेत्र के जल जंगल और जमीन से लेकर सड़कों के दोनों किनारों पर बड़े पैमाने में जहरीले राख बिखेरा गया है। क्षेत्र में मानव निर्मित फ्लाई एस(राखड़)की पहाड़ श्रृंखला इसी उद्योग की देन है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि विगत 17 नवम्बर 2021 को सम्पन्न होने वाली जनसुनवाई के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता रमेश अग्रवाल के द्वारा msp उद्योग के खिलाफ फ़ाइल किए गए प्रकरण में सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के चीफ जस्टिस की बेंच ने स्टे लगा दिया था। जबकि इसके पहले भी इस उद्योग के विस्तार के लिए 15 सितम्बर 2021 को होने वाली जन सुनवाई पर भी दिनांक 14.सितंबर 2021 को खुद उद्योग प्रबन्धन ने अज्ञात कारणों से स्थगित कर दिया था ।
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