
जेपीएससी में ज्यादातर कर्मचारी, ऑफिसर दुसरे राज्य के और भ्रष्ट हैं। इसके सभी सदस्य व अध्यक्ष राजनीतिक घराने से हैं। इसलिए ही लगातार भ्रष्टाचार हुए हैं।
झारखण्ड ब्यूरो /दशरथ विश्वकर्मा
सातवीं जेपीएससी पीटी परीक्षा की पहली परिणाम एक नवम्बर 2021 को आया ,जिसमें कई गडबड़ी सामने आया । कई सेंटर में एक ही कक्षा के सभी अभ्यर्थी लगातार रोल नवम्बर वाले सफल हो गए। जिस कारण छात्रों द्वारा आन्दोलन तेज हो गया। आन्दोलन सड़क से सदन तक चला । जिससे आयोग ने मान लिया और लगातार सफल कुछ छात्रों को मनमाने ढंग से फेल कर दिया। फिर केस हुआ जिससे ही गडबडी पाया गया तत्पश्चात 17 फरवरी को संशोधित करते हुए नियमतः एक कट-ऑफ जारी करते हुए 1117 सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को सामिल करके 406 SC ,ST व ews को बाहर करते हुए रिजल्ट प्रकाशित किया गया।
अतः यह परीक्षा कभी फेयर हो ही नहीं सकता क्योंकि इसके नियमावली ही दोषपूर्ण है । नियमावली नहीं यह आरक्षण को कानूनी रूप से खत्म करने की दस्तावेज है। नियमानुसार 17 (1) व (2) के अनुसार सभी वर्ग के लिए एक कट-ऑफ होगा और अगर उसमें किसी वर्ग के कुल रिजल्ट के 15 गुणा न हो तो कुछ अंक कम करके प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
अर्थात इस आधार पर सभी वर्ग के साथ समानता नहीं सहानुभूति दर्शाया गया है।
इस नियमावली व रिजल्ट में अनारक्षित कोटी की परिभाषा बदल दिया गया है। अनारक्षित का अर्थ आरक्षित कोटी के अलावे वह वर्ग जिसमें अंक की समानता के आधार पर सभी की सम्मिलित वर्ग। जिसमें st,SC,obc , ews व स्वर्ण वर्ग सामिल होता है।।
वर्तमान विवादित सातवी जेपीएससी परीक्षा की दुसरी रिजल्ट आया है ,उसमें अनारक्षित कोटी के उत्तीर्ण 1552 में लगभग 1500 झारखण्ड के बाहर के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, इसमें कोई शक नहीं। अर्थात ऐसी दोषपूर्ण नियमावली सिर्फ बाहरी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है और कुछ नहीं।
इस पर कोई आवाज न उठाये इसलिए पहले ही नियमावली की हवाला देकर जागरूक अभ्यर्थियों को उम्र सीमा 2011 के बदले 2016 करके बाहर की रास्ता दिखा दिया।
लेकिन हेमंत सोरेन को बाद में पता चलेगा की जेपीएससी के छात्र ही उसे राजनीति से बाहर कर दिया।
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें
Please Share This News By Pressing Whatsapp Button