
रायगढ़ तहसील राजस्व न्यायालय बना भ्रष्टाचार का केंद्र
रायगढ़ जिला ब्यूरो रिपोर्ट पियूष पटनायक
इन दिनों छत्तीसगढ़ की संस्कार-धानी कला-नगरी के रूप में पहचाना जाने वाला रायगढ़ जिला चर्चा का विषय बना हुआ है। तहसील कार्यालय रायगढ़ में मारपीट करने के आरोप में ज़िले के चार अधिवक्ताओं भुवनलाल साव, जितेंद्र प्रसाद शर्मा,कोमल प्रसाद साहू,दीपक मोड़क को गिरफ़्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है।इस खींच-तान में आम आदमी पिस रहा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश भर में स्टेट बार काउंसिल ने राजस्व न्यायालय का बहिष्कार कर दिया है।
वकीलों का प्रतिनिधि मंडल ज़िला पुलिस अधीक्षक से भेंट कर मांग किया है कि गिरफ्तार किये गये वकीलों के परिवार वालों को दबाव बनाकर पूछताछ कर उन्हें तंग न किया जाय। वकीलों का कहना है कि तहसील कार्यालय रायगढ़ में भ्रष्टाचार व्याप्त है। उसके खिलाफ संघर्ष है।वे किसी कर्मचारी संगठन के खिलाफ नहीं लड़ रहे हैं।
वकीलों का वैचारिक दृष्टिकोण यह है कि तहसील में न्याय हो। फ़ैसले न बिकें। तहसील न्यायालय नाम की मर्यादा बनी रहे। उन्होंने बताया है कि नामांतरण में हज़ारों रूपये और सीमांकन में लाखों रूपये लग जाते हैं। और तहसीलदार पर एक वकील ने आरोप लगाया है कि तहसीलदार की जमीन है गेरवानी में,इसलिये वहां की सड़क नहीं बनी है। आश्चर्यजनक बात है। उन्होंने यह भी बताया है कि शासकीय जमीन को किसी व्यक्ति के नाम पर दर्ज़ कर फिर उसे बेच दिया गया है।यह कितना बड़ा भ्रष्ट्राचार है।
रायगढ़ के पूर्व महापौर मधुबाई किन्नर ने अपना बयान जारी किया है कि वकीलों ने आम लोगों की आवाज़ उठायी है।ये पीड़ित लोगों को न्याय दिलाते हैं।पूर्व महापौर ने अधिकारियों और पुलिस के बारे में कहा है कि अधिकारी और पुलिसकर्मी आम जनता, व्यापारी, किसान, गरीब सबको परेशान करते हैं।
इस विवादास्पद घटना को लेकर आम आदमी विचार करने लगे है कि आखिर कर्मचारी संगठन का इस मुद्दे से क्या संबंध है।
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