जीवन वह है जिससे दूसरों को प्रेरणा मिले, एक-एक कर्म उच्च कोटि का रहे-अंबा प्रसाद

ब्यूरो रिपोर्ट झारखंड / उमेश सिन्हा

हजारीबाग:- प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय हजारीबाग की ओर से मंगलवार को हजारीबाग बड़ा अखाड़ा सेवा केंद्र पर संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा का 53 वां पुण्य स्मृति दिवस मनाया गया| उक्त स्मृति दिवस में बतौर मुख्य अतिथि बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद एवं पूर्व विधायक श्रीमती निर्मला देवी शामिल हुई| कार्यक्रम में मुख्य रूप से विवेकानंद स्कूल की शिक्षिका श्रीमती जया श्रीवास्तव, एडवोकेट अश्विनी कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर विजय कुमार सिन्हा, डॉ वंदना, सेवा केंद्र संचालिका ब्रम्हाकुमारी हर्षा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे| कार्यक्रम में पहुंचे सभी आगंतुकों ने ब्रह्मा बाबा के स्मृति चिन्ह शांति स्तंभ पर माल्यार्पण और श्रद्धा सुमन अर्पित किया| इस अवसर पर अंबा प्रसाद ने कहा कि जीवन वह है जिससे दूसरों को प्रेरणा मिले, एक-एक कर्म उच्च कोटि का रहे| आगे उन्होंने ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस पावन दिवस पर इतने सुंदर वातावरण का अनुभव प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे यहां आकर बहुत ही शांति की अनुभूति हो रही है, अधिक से अधिक लोगों को सच्चा ज्ञान और सच्चा ध्यान जीने के लिए पूरे घर का वातावरण शुद्ध और पवित्र बनाने हेतु ईश्वरीय ब्रह्मकुमारी संस्था कार्य कर रहे हैं| अंबा प्रसाद ने कहा कि जीवन जीने के लिए प्रयास के साथ-साथ प्रार्थना की भी बहुत ही जरूरत होती है|

सेवा केंद्र संचालिका ब्रम्हाकुमारी हर्षा दीदी ने सभी को बताया कि ब्रह्मा बाबा पुण्य स्मृति दिवस आज विश्व शांति दिवस के रूप में हम सब मना रहे हैं। ब्रह्मा बाबा उच्च व्यक्तित्व के धनी थे उनके विचार सदैव ही विश्वकल्याण और नारी उत्थान के लिए चलते रहते थे। ममत्व लुटाने वाले एक पिता ने नारी जाति के प्रति करुणा बिखेर कर उनको विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया। ब्रह्मा बाबा का परमात्मा के प्रति बहुत ही आस्था और विश्वास था। ब्रह्मा बाबा सन 1969 ईसवी में अपना पुराना शरीर त्याग अव्यक्त वतनवासी हो गए। सन 1937 से लेकर 1968 तक परमपिता शिव की इच्छाओं को पूरा संसार में प्रचारित किया अपने को तथा विश्व की सर्वाधिक आत्माओ को पवित्र शक्तिशाली बनाने में लगे रहे। दीदी ने बताया कि पिता श्री ब्रह्मा बाबा की तपोभूमि माउंट आबू राजस्थान में स्थित है जो अभी एक विश्वविद्यालय का रूप धारण कर चुका है। हमें भी पिताश्री के पद चिन्हों पर चलते हुए ज्ञान की गहराइयों में जाने की जरूरत है। एक योगी हजार वक्ताओं से श्रेष्ठ होता है हमें ऐसा लक्ष्य रखना है जहां हम रहते हैं उस एरिया में कोई आत्मा परेशान ना हो। सभी सुख शांति की तरंगे प्राप्त करते रहें हम सब सदा ही निराकारी निर्विकारी और निरहंकारी के अवस्था के बारे में कथनी और करनी एक करें सदैव हम विश्व कल्याण के लिए तत्पर रहें सभी को अपने मन के विचार से परमात्मा की मदद से सुख शांति का प्रक्रम पन देते रहे ऐसी अनेक प्रकार की भावनाएं दीदी ने प्रकट की।

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