
राज्य सरकार नर्सरी से लेकर क्लास पांचवी तक कक्षा संचालन की अनुमति प्रदान करें: पासवा
जिला ब्यूरो रिपोर्ट राँची
रांची। प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन,पासवा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बच्चों के पठन-पाठन को लेकर गंभीरता दिखाये जाने पर आभार व्यक्त किया है। पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे, उपाध्यक्ष लाल किशोरनाथ शाहदेव और महासचिव डॉ राजेश गुप्ता छोटू व सचिव कुमुद रंजन ने कहा कि आज जब कई संगठन और राजनीतिक दल सिर्फ मंदिर-मस्जिद खोलने की बात कर रहे है।बच्चों की पढ़ाई की चिंता उन्हें नहीं है। ऐसे में पासवा के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने पहले 9वीं से 12वीं और फिर छठवीं से आठवीं तक के बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास की अनुमति दी।पासवा की ओर से अब मुख्यमंत्री से आग्रह किया जाता है कि राज्य सरकार नर्सरी से लेकर क्लास 5वीं तक के कक्षा संचालन की अनुमति प्रदान करें।
पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि कोरोनाकाल में तमाम मुश्किलों के बावजूद शिक्षकों ने बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा उपलब्ध कराने का काम जारी रखा, इसे लेकर पासवा की ओर से देशभर में शिक्षकों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस कड़ी में रांची और जमशेदपुर में शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किये जाने के बाद आगामी दिसंबर महीने में बोकारो और पाकुड़ में शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आगामी 16 से 20 जनवरी तक रांची के मोरहाबादी मैदान में पांच दिवसीय बाल महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें देशभर के विभिन्न राज्यों के प्राईवेट स्कूल की ओर से स्टॉल लगाया जाएगा, जिसके माध्यम से बच्चों की प्रतिभाएं सामने आएगी और उन्हें सम्मानित किया जाएगा। इस महोत्सव का उदघाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अतिथियों से करने का आग्रह किया जाएगा।
मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मिलने के बाद ही संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलकर नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के स्कूल खोलने का आग्रह करेगा, साथ ही पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में आठवीं कक्षा तक के प्राईवेट स्कूलों को संबद्धता प्रदान करने में आ रही अड़चन को दूर करने का आग्रह किया जाएगा।
प्रदेश उपाध्यक्ष लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि शिक्षा विभाग की ओर से बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता के लिए स्कूलों से आवेदन मांगा है, इसमें कई ऐसे कठोर नियम बनाये गये है, जिसे सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों या शहरी क्षेत्रों में लीज की जमीन का किराये के मकान में चलने वाले प्राईवेट स्कूल पूरा नहीं कर पाते थे। उन्होंने बताया कि यह नियम वर्ष 2019 में रघुवर दास सरकार में शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन करते हुए बनाया गया था, जिसके तहत 30 वर्षों के लिए जमीन लीज का प्रमाण पत्र और अन्य अर्हताओं को शामिल किया गया है, आदिवासी बहुल झारखंड में इतने वर्षों के लिए लीज मिलना मुश्किल हैं। ऐसे में यदि इन प्राईवेट स्कूलों को मान्यता नहीं मिल पाता है, तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के समक्ष गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
पासवा के प्रदेश महासचिव डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि पूर्वीवर्ती सरकार में यह नियम जानबूझकर छोटे-छोटे निजी विद्यालयों को पूर्ण रूप से बंद करने की साजिश के तहत बनाया गया था,जबकि अर्द्धशहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राईवेट स्कूल ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करा रहे है,ऐसे में यदि प्राईवेट स्कूल बंद होंगे, तो राज्य की शिक्षा व्यवस्था तो चौपट होगी ही, साथ ही साथ इन स्कूलों में पढ़ाने वाले लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के समक्ष भी आजीविका की संकट उत्पन्न हो जाएगी। पासवा का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल कल 22 नवम्बर को मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, स्वास्थ्य सचिव से स्कूल खोलने एवं मान्यता को लेकर मुलाकात करेगा।
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