सब्जी बेचकर जांजगीर चाम्पा की बेटी पिंकी को बनाया डिप्टी कलेक्टर, बोली- पिता के खून-पसीने की कमाई व्यर्थ नहीं जाने देगी।

चाम्पा रिपोर्ट अमनप्रीत सिंह भटिया

जांजगीर चाम्पा- सीजीपीएससी 2020 का रिजल्ट जारी हुआ तो डिप्टी कलक्टर पद पर चयनित पिंकी मनहर को बधाई देने वालों का लग गया तांता, डभरा ब्लाक के धुरकोट ब्लॉक की बेटी ने भरी ऊंची उड़ान, पिता घूम-घूमकर बेचते हैं सब्जी

डभरा ब्लाक की बेटी पिंकी मनहर के पिता बाजार में घूम-घूमकर सब्जी बेचा करते हैं। पिता के खून-पसीने की मेहनत रंग लाई और पिंकी ने पहले ही प्रयास में ही डिप्टी कलेक्टर बनकर न केवल गांव का नाम रोशन किया है बल्कि यह साबित कर दिया है कि मन में ठान लें तो हर मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।

मेहनत से ही सबकुछ हासिल होता है। पिंकी ने ये भी साबित किया कि सरकारी स्कूल की पढ़ाई में भी उतना ही दम है जितना बड़ी इमारतों वाली हाईक्लास के स्कूलों में। बचपन से ही छोटे से गांव धुरकोट के हाईस्कूल में पढ़ाई करने के बाद बिलासपुर के गल्र्स कालेज में पिंकी मनहर ने ग्रेजुएट किया। उसने मन में ठान लिया था कि उसे कुछ कर दिखाना है।

दो साल तक लगातार सीजीपीएससी की तैयारी करती रही और पहले प्रयास में वह आबकारी सब इंस्पेक्टर बनी, लेकिन इस पद से वह संतुष्ट नहीं हुई। फिर लगन से पढ़ाई कर दूसरी बार में ही डिप्टी कलेक्टर बन गई। 29 अक्टूबर को जब सीजीपीएससी का रिजल्ट निकला तो उसके घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया।

पिंकी को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अब डिप्टी कलेक्टर बन चुकी है और नीली बत्ती वाली गाड़ी में बैठेगी। पिंकी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व गुरुजनों को दिया है। पिंकी ने बताया कि वह चाहती है कि उनके पिता की खून-पसीने का पैसा व्यर्थ नहीं जाना चाइये गांव की अकेली लाडली जो डिप्टी कलेक्टर बनी पिंकी ने बताया कि उसने पहले से ही मन बना लिया था कि उसे कुछ कर दिखाना है। वह धुरकोट गांव में इतने बड़े पद पर नौकरी करने वाली अकेली लड़की है जो डिप्टी कलेक्टर बनी है।

उसने बताया कि लड़कियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं। उसने लड़कियों के लिए यह संदेश देना चाह रही है कि हर लड़कियां अच्छे से पढ़ाई करे और सेल्फ डिपेंड हों, ताकि माता पिता का नाम रोशन हो सके। पिंकी ने बताया कि वह हर रोज करती थी 8 घंटे पढ़ाई
पिंकी मनहर ने बताया कि वह हर रोज 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थी। उसने मन में ठान ली थी कि हर हाल में उसे प्रशासनिक अफसर बनना है, चाहे उसे जितनी भी पढ़ाई करनी पड़े।

खास बात यह है कि उसके पिता केवल खेतों में सब्जी उगाकर बमुश्किल 10 से 12 हजार रुपए कमाते हैं और इतनी रकम में 3-4 हजार रुपए बचाकर अपनी बेटी पिंकी को देते थे। इतने कम खर्च में पिंकी ने यह मुकाम हासिल कर लिया।

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