गांधी जयंती के अवसर पर रायगढ़ में कोयला सत्याग्रह !

रायगढ़ जिला ब्यूरो / पीयूष पटनायक
खम्हरिया में जनसुनवाई में आये निहत्थे किसानों ग्रामीणों पर प्रशासन के द्वारा जनसुनवाई के दौरान लाठीचार्ज कर दिया गया था। जिसमें डॉ हरिहर प्रसाद पटेल समेत अनेक लोगों को गंभीर चोटें आयीं और डंडे से लहू-लुहान हो गये थे।पूरे क्षेत्र में लाठी चार्ज से असंतोष फैल गया,जनता आक्रोशित हो गयी थी।तब मेहनत कश मजदूर किसान एकता समिति गारे तमनार के द्वारा सरकार की किसान विरोधी औद्योगिक नीति और दमनकारी क़ानून को सबक सिखाने के लिये कोयला सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की गयी।तर्क दिया गया कि महात्मा गांधी ने तत्कालीन सरकार के जनविरोधी कानूनों से असंतुष्ट होकर जनहित में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन को यज्ञ का रूप दिया।नमक कानून से पूरा देश बिफर गया और महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह आंदोलन चलाया।

देश भर में विकास के नाम पर बड़े बड़े उद्योग, खदान, फैक्ट्रियां स्थापित की जा रही हैं। जिनके कारण आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त होने लगा है। पुस्तैनी जमीन पर खेती-बाड़ी के कार्य करके जीवन-यापन करनेवाले भूस्वामी औने-पौने मुआवजे का शिकार हो अपनी अचल सम्पत्ति से बेदखल होने को विवश हो कर रह गये हैं।आज के समय की समीक्षा करें तो देश में एक भूमिहीन वर्ग पनप रहा है।जो भविष्य में विकराल समस्या बनकर उभरेगा।इस पर सरकार की चिंता लेशमात्र भी नहीं है। डॉ हरिहर प्रसाद पटेल बताते हैं कि इसी कारण महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष किसान विरोधी औद्योगिक नीति के कारण कोयला सत्याग्रह किया जाता है।
इस बार वनाच्छादित पेलमा गांव में ग्यारहवां कोयला सत्याग्रह का आयोजन कर आवाज़ बुलंद किया गया।सर्व प्रथम महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। “रघुपति राघव राजा राम,पतित पावन सीता राम”भजन किया गया। तत्पश्चात् विचार मंथन का दौर चला। जिसमें छत्तीसगढ़ में पेसा कानून लागू करने, ग्रामपंचायत को जंगल के रख-रखाव का अधिकार देने और कोयला प्रभावित क्षेत्र में सामुदायिक खदान खोलने की मांग विशेष रूप से उठायी गयी।
उड़िसा के सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र डेमे उरांव ने कोयला सत्याग्रह को संबोधित करते हुए कहा कि कोयला पर मालिकाना हक भू धारक का होना चाहिये। पांचवीं अनुसूची और ग्रामसभा की इज्ज़त सरकार नहीं कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी अंग्रेजी सरकार का विरोध करते थे तो उन्हें जेल हुयी।हम किस अंग्रेज सरकार का विरोध कर रहे हैं जो हमें जेल में डाला जाता है। विस्थापितों का कोई भविष्य नहीं है। पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था के कारण मनुष्य की औसत आयु चालीस वर्ष कम हो चुकी है। महात्मा गांधी को याद में बस्तर की समीक्षा करते हुए कहा कि बस्तर में नक्सली हमले की बात उठी थी। जांच में पाया गया कि फोर्स के द्वारा गांव उजाड़ा गया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ही नक्सली बनाती है। डॉ हरिहर ने कहा कि हम लोग मानवाधिकार के लिये काम करते हैं।जो कोई पीड़ित जन राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो को समस्याओं के निराकरण हेतु आवेदन देते हैं तो मांगपत्र को संबंधित विभाग को आवश्यक कार्यवाही के लिये प्रेषित करते हैं। मानवाधिकार को जानें उसकी रक्षा करें। एकजुट हो संघर्ष करें। लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के भूतपूर्व विधायक ह्रदय राम राठिया ने कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिये जमीन बचाने की लड़ाई करना है। आपके कृपा से मुझे पेंशन मिल रहा है,उसे खा रहा हूं,इसलिये आपके साथ रहूंगा। उन्होंने सड़क की दशा को सुधारने के लिये पांच अक्टूबर को हुंकरा चौक में चक्का जाम करने करने की घोषणा की और धरना प्रदर्शन में बैठ सेंघारने का अनुरोध भी किया। कोयला सत्याग्रह का सफल संचालन जुझारू किसान बंशी पटेल ने किया।इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता शिव पटेल,कौशल्या,भोजमती राठिया,तन्मय बनर्जी,कृष्णा साव, सरस्वती पटनायक,सविता रथ,डबल सिंह पटेल, सिद्धार्थ मुखर्जी,राजेश त्रिपाठी जन चेतना, ज्योति भगत सर्व आदिवासी जिला अध्यक्ष,राजबाले, जयशंकर प्रसाद डनसेना,ग्राम पंचायत उरबा,पेलमा के सरपंच, चक्रधर राठिया,संतोष राठिया, सहित तमनार ब्लाक के निवासी भारी संख्या में उपस्थित थे।

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