विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के बहुद्देशीय भवन एवं डिजिटल स्टुडियो के उद्घाटन समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन!

राज्य ब्यूरो झारखंड

सवर्प्रथम मैं भूदान आंदोलन के जनक आचार्य विनोबा भावे जी को नमन करता हूँ एवं उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ। संत विनोबा भावे जैसे महान व्यक्तित्व के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है।
किसी भी समाज व राष्ट्र के विकास में शिक्षा की अहम भूमिका होती है, विशेषकर विश्वविद्यालयों की भूमिका। वैश्वीकरण के इस दौर में हमें अपने विद्यार्थियों को हर हाल में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करनी होगी ताकि वे अपने ज्ञान व कौशल से रोजगार हासिल कर सके। विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए मैं हमेशा चिंतन करता हूँ। छात्रहित में विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों की निरंतर जानकारी लेता हूँ। हमारे राज्य के विश्वविद्यालय सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विश्व के बेहतर विश्वविद्यालयों में अपना नाम स्थापित करें, यह हमारा प्रयास एवं सपना है।
इसके लिए शिक्षण संस्थानों को एक बेहतर माहौल कायम करने की दिशा में गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की जरूरत है। अच्छा माहौल नहीं रहेगा तो न विद्यार्थी पढ़ पायेंगे और न ही शिक्षक पढ़ा पायेंगे। हमें ऐसा वातावरण विकसित करना होगा कि शिक्षण संस्थानों में सर्वत्र ज्ञान का माहौल हो। हमारे शिक्षक समाज के समक्ष अनुकरणीय आचरण प्रस्तुत करें ताकि न केवल विद्यार्थी उनसे प्रेरित हों, बल्कि समाज में वे सदा पूजनीय रहे। शिक्षकों को सही अर्थों में शिक्षा के प्रति समर्पित होना होगा। हमारे विद्यार्थियों में काफी काबिलियत है, गुणात्मक शिक्षा एवं सही मार्गदर्शन प्राप्त होने पर ही वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखा पायेंगे।
शिक्षण संस्थानों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों में मानवता, सदाचार तथा नैतिक मूल्यों की भावना को भी विकसित करें। हमारा यह दायित्व होना चाहिए कि हमारे विद्यार्थियों में महिलाओं के प्रति सम्मान, व्यक्तिगत जीवन में सत्य और ईमानदारी, आचरण में अनुशासन एवं आत्मसंयम तथा कार्य में दायित्व की भावना विकसित हो। हमारा प्रयास सभी को उच्च शिक्षा प्राप्त कराने का भी होना चाहिए। शिक्षा से ही लोगों में जागरूकता आती है और सामाजिक कुरीतियों का अन्त होता है।
समस्त विश्व विगत डेढ़ वर्ष से कोरोना महामारी का सामना कर रहा है। जन-सहयोग एवं चिकित्सा जगत से जुड़े कर्मियों के सेवा एवं समर्पण के कारण हम इस चुनौती का सामना करने में सफल हो पाये। कोरोना महामारी जैसी विषम परिस्थिति का हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है। कोविड के गंभीर संकट के समय ऑनलाइन शिक्षा ही एकमात्र विकल्प के रूप में सामने आया। ऐसे में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त ‘डिजिटल स्टूडियो’ का सार्थक निर्माण चुनौतियों को अवसर में बदलने का जीवंत प्रमाण है। शिक्षकों को अपने ज्ञान और विद्वता के प्रसार का यह एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा जिससे वर्तमान के विद्यार्थियों के लाभान्वित होने के साथ यह भविष्य के लिये भी धरोहर का केन्द्र बनेगा। आशा है कि यू-ट्यूब एवं अन्य संचार माध्यम से इस डिजिटल स्टुडियो का लाभ वैश्विक स्तर पर होगा।
बहुद्देशीय भवन विद्यार्थियों, कर्मचारियों के समस्त इनडोर खेलों की सुविधा से भरपूर खेल भावना के विकास में अपनी अहम भूमिका निभायेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। यह विश्वविद्यालय परिसर के साथ-साथ आस-पास के पीड़ित जनों की सेवा हेतु ‘फिजियोथेरेपी’ जैसे उपयोगी पाठ्यक्रम का केन्द्र भी होगा। सेवा और रोजगारपरक शिक्षा तथा खेल तीनों की अद्भुत त्रिवेणी का निर्माण ‘कोविड काल’ में अपने-आप में एक प्रशंसनीय कार्य है।
अन्त में, मैं कहना चाहूँगा कि हमें विज्ञान और कला दोनों के समन्वय के माध्यम से अपने सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों तथा संवेदनाके साथ विकास के पथ पर अग्रसर होना है। पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ नैतिक एवं चारित्रिक विकास भी बहुत महत्वपूर्ण है और हमें इस पर भी ध्यान देना है। मुझे अपेक्षा है कि यह विश्वविद्यालय छात्रहित में सदैव विभिन्न प्रकार के दायित्वों का समर्पित भाव से निर्वहन करेगा और विद्यार्थियों को एक बेहतर एवं जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयत्नशील रहेगा।

जय हिंद! जय झारखण्ड!

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



जवाब जरूर दे 

सरकार के नये यातायात नियमों से आप क्या है ? जवाब जरूर दे ,

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Close
Website Design By Bootalpha.com +91 82529 92275
.