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रीवा संभाग में सरसों एवं दलहनों का रकबा बढ़ायें- केके सिंह
ब्यूरो रिपोर्ट सतना/सुधीर शुक्ला
आगामी खरीफ सीजन-2021 में सतना जिले में खरीफ फसलों के क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य 3 लाख 64 हजार 730 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। जिसने धान की फसलों के लिए 2 लाख 49 हजार 680 हेक्टेयर रकबा शामिल किया गया है। इस आशय की जानकारी शुक्रवार को कृषि उत्पादन आयुक्त श्री केके सिंह द्वारा रीवा और शहडोल संभाग की रबी उत्पादन 2020-21 और खरीफ 2021 की तैयारियों संबंधी समीक्षा बैठक में दी गई। वीडियो कांफ्रेंसिंग से की गई समीक्षा बैठक में कलेक्ट्रेट एनआईसी सतना के कक्ष में सीईओ जिला पंचायत हरेंद्र नारायण, उप संचालक कृषि बीएल कुरील, संभागीय कृषि यंत्री राजेश तिवारी सहित सहकारिता, मार्कफेड, सहकारी बैंक, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन विभाग के जिला अधिकारी उपस्थित थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री सिंह ने कहा कि रबी फसलों में रीवा में 106 प्रतिशत, सीधी में 64 प्रतिशत सरसों की फसल के रकबे में वृद्धि हुई है। आगामी रबी सीजन में प्रयास करें कि संभाग के सभी जिलों में सरसों के रकबे में किसानों को प्रोत्साहित कर और भी वृद्धि की जाए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि किसानों को रबी और खरीफ में उपार्जन आधारित गेहूं और धान की मुख्य फसलों के अलावा अन्य अधिक उत्पादन और लाभ देने वाली फसलों को और भी प्रोत्साहित करें।
रीवा संभाग की रबी फसलों के उत्पादन की जानकारी में बताया गया कि सतना जिले में रबी 2020-21 में 3 लाख 65 हजार 340 हेक्टेयर के लक्ष्य के विरुद्ध 3 लाख 69 हजार 720 हेक्टेयर क्षेत्राच्छादन की पूर्ति की गई है। रबी फसलों के सकल उत्पादन में 15 प्रतिशत उत्पादकता की वृद्धि हुई है। खरीफ की तैयारी में बताया गया कि वर्ष 2020 में खरीफ फसलों में 3 लाख 46 हजार 750 हेक्टेयर की पूर्ति की गई थी। इस लिहाज से आगामी खरीफ 2021 में 3 लाख 64 हजार 730 हेक्टेयर क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य रखा गया है। जिले में 34 हजार 745 एमटी खरीफ बीज प्रतिस्थापन प्रस्तावित है। जिले में 35 हजार 8 एमटी बीज की उपलब्धता होगी। उर्वरकों के लिए रीवा संभाग में वर्ष 2020 में 65 हजार 981 एमटी की पूर्ति हुई थी। इस वर्ष 78000 का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल 37 हजार 529 एमटी उर्वरक की उपलब्धता है। प्रबंध संचालक मार्कफेड पी नरहरि ने बताया कि प्रदेश में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता है। डीएपी खाद की व्यवस्था भी पर्याप्त की जा रही है। डीएपी 15 जून तक सभी जगह पर्याप्त उपलब्ध होगी। जिले में यूरिया और डीएपी की उपलब्धतानुसार स्टाकिंग में कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि समितियों में डीएपी और यूरिया का स्टॉक खाली नहीं रहना चाहिए। जिला स्तर पर कृषि, सहकारिता एवं संबंधित विभागों के अधिकारी प्रतिदिन समीक्षा और मॉनिटरिंग करेंगे।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कृषि यंत्रीकरण, उद्यानिकी की समीक्षा में कहा कि सभी जिलों में उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाया जाये। अधिकाधिक फल, सब्जी, मसाला, पुष्प और औषधियों के उत्पादन के लिये विशेष जानकारी देकर योजनाओं के तहत लाभान्वित किया जाये। कृषि संबंधी व्यवसाय में मछली पालन सबसे अधिक लाभ का धंधा है। मछली पालकों को विभाग की योजनाओं का लाभ अधिकाधिक किसान क्रेडिट कार्ड बनाकर मत्स्य पालन की नवीन तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाये। पशुपालन विभाग की समीक्षा में उन्नत नस्ल संवर्धन, पशुओं का टीकाकरण, उन्नत खाद्य, पशुओं का उपचार, गौ उत्पादों को बढ़ावा देकर पशु पालकों से दुग्ध उत्पादन की गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दिया गया। कृषि यंत्रीकरण के लाभ किसानों तक सुनिश्चित करने के साथ ही किसानों को फसल चक्र बदलने के लिये प्रोत्साहित करने की कार्य योजना बनाकर कार्य करने के निर्देश भी दिये गये।
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