
उपभोगता सजग रहें तो धोखाधड़ी से बच सकते हैं : डॉ संग्राम
ब्यूरो चीफ़, गुरुग्राम / दी चेंज न्यूज़ /
ये विचार राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो एनएचआरसीसीब के स्टेट ऍडवाईज़र डॉ संग्राम सिंह ने आगामी 24 दिसम्बर को उपभोगता दिवस पर उपभोगताओं के अधिकारों के बारे में चर्चा के दौरान व्यक्त किए। उन्होने इस जागरूकता अभियान में ग्राहकों और दूकानदारों को जागरूक करने की शपथ दिलाई।
चर्चा के दौरान उन्होने बताया की उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिये सामान अथवा सेवायें खरीदता है तो वह उपभोक्ता है। आज ग्राहक जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, बिना मानक की वस्तुओं की बिक्री, अधिक दाम, हर जगह ठगी, कम नाप-तौल इत्यादि का शिकार है। ग्राहक संरक्षण के लिए विभिन्न कानून बने हैं, ग्राहक को जागना होगा व स्वयं का संरक्षण करना होगा.
उन्होने आगे बातचीत में कहा की आपका पाला अक्सर ऐसे दुकानदारों से पड़ा होगा जो वजन करते समय बेईमानी करते हैं और कम तौलते हैं। कुछ दुकानदार खाने के सामानों में मिलावट करते हैं। यदि कोई दुकानदार “एमआरपी” से अधिक मूल्य लेता है तो उपभोक्ता इसकी शिकायत पहले एन सी एच (ओएल) में, बाद में उपभोगता अदालत में कर सकता है। शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहां हुआ आदि का विवरण, शिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेजों के साथ उपभोगता फोरम में खुद या फिर वकील के माध्यम से जा सकते हैं। 1 करोड़ रुपये तक के क्लेम वाले केस जिला स्तर के कोर्ट में सुनवाई के लिये जाते हैं। 10 करोड़ रुपये तक के केस राज्य स्तर के कोर्ट में जाते हैं। 10 करोड़ से अधिक के क्लेम वाले केस राष्ट्रीय स्तर के कंज्यूमर कोर्ट में जाते हैं। यदि कोई केस जिला स्तर के कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया जाता है तो उपभोक्ता को राज्य स्तर पर; और उसके बाद; राष्ट्रीय स्तर पर अपील करने का अधिकार होता है। नए एक्ट- सी॰पी॰ए॰-2019 में ग्राहकों को और अधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
डॉ संग्राम ने अपने साथ हुआ एक वाकया का भी जिक्र किया जिसमें उन्हें शहर के एक दुकानदार द्वारा बट्टर पेकेट का बॉक्स का एम आर पी से ज्यादा रेट मांगा गया। उन्हें तो जब ताज्जुब हुआ जब दुकानदार ने बड़ी शान से ये कहा की वो तो इसी रेट से ये प्रॉडक्ट बेचता रहा है। बाद में उस दुकानदार को कानूनी प्रावधानों के बारे में बताने पर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और आगे से ऐसा ना करने की कसम उठाई।
डॉ संग्राम सिंह ने बताया की अक्सर उत्पादक अपने उत्पादों के बारे में झूठे वादे करते हैं। कभी भी किसी उत्पाद में कोई त्रुटि भी हो सकती है। यदि किसी उपभोक्ता को इनके कारण कोई क्षति होती है तो उसे क्षतिपूर्तिनिवारण का अधिकार होता है। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने एक मोबाइल खरीदा और पहले महीने में ही उस मोबाइल हेंडसेट में मैनुफेक्चुरिंग डिफ़ेक्ट आ गया। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को यह अधिकार होता है कि बदले में उसके या तो वो मुफ्त में ठीक कराया जाये या फिर वो प्रॉडक्ट बदला जाये।
सेवाओं में खामियां जैसे की बैंकिंग सेवाओं का जिक्र करते हुए डॉ संग्राम ने कस्टमरस के हकों के बारे में बताते हुए कहा की “डेफ़िसींसीज इन सर्विस” पाये जाने पर “कंजूमर प्रोटेक्सन एक्ट” में कस्टमर को क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होता है। सेवाओं का मतलब किसी भी क्षेत्र की सेवा है जो किसी उपभोक्ता को उपलब्ध करायी जाती है, जिसमें बैंकिंग, वित्त पोषण, बीमा, परिवहन, चिकित्सा, मनोरंजन और भी सेवाएँ हैं, जिनमें कमी का मतलब गुणवत्ता, प्रकृति और प्रदर्शन के तरीके में किसी भी गलती या अपूर्णता है जिसे कानून द्वारा बनाए रखा जाना चाहिए या पार्टियों के बीच दर्ज अनुबंध के अनुसरण में होना आवश्यक है.
नये उपभोगता कानून में किसी प्रॉडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, डिजाइन, फॉर्म्युला, निर्माण, असेंबलिंग, टेस्टिंग, सर्विस, इंस्ट्रक्शन, मार्केटिंग, पैकेजिंग, लेबलिंग आदि में खामी की वजह से ग्राहक की मौत,घायल या अन्य नुकसान की स्थिति में मैन्युफैक्चरर, प्रॉड्यूसर और यहां तक की विक्रेताओं को भी जिम्मेदार बनाने की व्यवस्था की गई है। इस सबका मकसद “ जागो ग्राहक जागो “ के अभियान को आगे बढ़ाना है।
डॉ संग्राम सिंह ने सुझाव दिया की इस सबके लिए उपभोगता को अपने अधिकारों प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है। जहां तक हो सके ऑनलाइन या फिर फ़र्म के नाम से चेक से भुगतान करें। ग्राहक दुकानदार से साइंड कैश मेमो / भुगतान युक्त बिल और गारंटी / वारंटी कार्ड जरूर लें। ये आगे प्रॉडक्ट में खामियाँ आने पर काम आयेगा।
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