कोयंबटूर में फंसी झारखंड की 24 और बेटियों को एयरलिफ्ट कर लाया गया रांची
रांची। तमिलनाडु के कोयंबटूर में में फंसी झारखंड की 24 और बेटियों को बुधवार की सुबह एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया। सभी लड़कियां पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला जिले के विभिन्न इलाकों की रहने वाली हैं। अब इन्हें इनके घर भेजने की तैयारी की जा रही है। लड़कियों ने बताया कि संजय जोको नाम के दलाल ने इन्हें सिलाई-कढ़ाई के नाम पर तमिलनाडु ले गया था। इसके बाद उन्हें दवा कंपनी पहुंचा दिया गया जहां उन्हें बंधुआ मजदूर बना लिया गया था। वे यहां दो महीने से फंसी थीं।
इन लड़कियों को रांची लाने के लिए मंगलवार को फिया फाउंडेशन, एसीसी सीमेंट और आसरा जैसी संस्थाओं ने कुछ घंटे में ही तकरीबन तीन लाख रूपये का फंड इकट्ठा किया। मंगलवार की रात 10 बजे कोयंबटूर एयरपोर्ट से इंडिगो की फ्लाइट दिल्ली के लिए थी।
दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान रात के 12:45 बजे पहुंची। तकरीबन पांच घंटे के विश्राम के बाद बुधवार की सुबह अगली फ्लाइट से दिल्ली से ये लड़कियां रांची पहुंची। फिलहाल ये लड़कियां प्रशासन की देखरेख में है। इन्हें चाईबासा ले जाया जा रहा है। आज दोपहर का लंच ये चाईबासा के सर्किट हाउस में उपायुक्त व रेसक्यू करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ करेंगी।
श्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रेस्कयू की गई 24 लड़कियों में 21 पश्चिमी सिंहभूम और 3 सरायकेला खरसावां की है। सुदूर ग्रामीण इलाके की रहनेवाली लड़कियों में दो नाबालिगों को छोड़कर सभी तकरीबन 18-19 साल की हैं।
इन लड़कियों को अक्टूबर में ही ओडिशा और गांव के एक दलाल ने सिलाई का काम दिलाने और प्रतिमाह 12000 रुपये के वेतन दिलाने की बात कहकर पहले तमिलनाडु के इरोद ले गए थे, फिर यहां से कोयंबटूर ले जाया गया। वहां इन्हें सिलाई की जगह पर धागा बुनने के काम में जबरन लगा दिया गया। लड़कियों को जमीन पर ठंडे फर्श में सोने के लिए कहा जा रहा था।
कुल मिलाकर उस फैक्ट्री में झारखंड की तकरीबन 50 लड़कियां काम कर रही थीं। जिनमें से कुछ निकलने में पहले ही सफल रहीं थीं। इन लड़कियों की गुहार पर सरकार ने भी संज्ञान लिया था। इस पूरे मामले में सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं ने शानदार समन्वय बिठाते हुए इन्हें रेस्क्यू किया।
लड़कियों ने बताया कि किसी को एक भी पैसा नहीं मिला किसी को एक हजार रुपये तो किसी को 800 रुपये दिए गए थे। रेस्कयू के वक्त फैक्ट्री से इन लड़कियों को पैसे भी दिलाये गए हैं। अब झारखंड में ये एक बार फिर से आजाद हवा में सांस ले रही हैं।
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