झारखंड हाइकोर्ट हुई ऑनलाइन सभी मामलों की जानकारी अब घर बैठे मिलेगी
झारखंड हाईकोर्ट में किसी भी मामले की जानकारी अब घर बैठे मिल जाएगी। हाईकोर्ट ने इसके लिए अपना एप जारी किया है, जिसे ई-कोर्ट सर्विसेज नाम दिया गया है। एप में कोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी से लेकर कई साल पुराने मामलों के आदेश भी उपलब्ध हैं। केस की तिथि, अंतिम और अगली सुनवाई समेत अंतरिम आदेश की जानकारी भी उपलब्ध है।
इस एप में केस से संबंधित हर जानकारी शामिल की गई है। केस नंबर, प्रार्थी, प्रतिवादी, जज और वकीलों के नाम पर मामलों को खोजने की सुविधा भी है। इसमें केस फाइल होने की तिथि, अंतिम अंतरिम आदेश भी मौजूद हैं। एप को गूगल के प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
3.60 करोड़ पेज का हुआ डिजिटाइजेशन : एप जारी करने के पहले हाईकोर्ट ने अदालतों के सभी दस्तावेजों को डिजिटल किया है। 3.60 करोड़ पेज को डिजिटाइज करने में करीब दो साल का समय लगा। हैदराबाद की एक कंपनी को यह काम दिया गया था। डिजिटाइजेशन में कई तरह के डाटा को आधार बनाया जा रहा है। इनमें 32 आधार दिए गए हैं। इसमें बेंच कोड, केस टाइप, केस नंबर, प्रार्थी, प्रतिवादी का नाम, दोनों पक्षों के वकील के नाम, जिला, जज का नाम, मामले के निष्पादन की तिथि समेत अन्य बिंदु शामिल हैं। कुल 32 आधार पर रिकॉर्ड देखा जा सकेगा।
व्यावसायिक कोर्ट हैं पेपरलेस : झारखंड के तीन व्यावसायिक कोर्ट अभी पेपरलेस हैं। रांची, धनबाद और जमशेदपुर में व्यावसायिक कोर्ट हैं। इन कोर्ट में ई-फाइलिंग की सुविधा है। घर या कार्यालय से कोई भी अपनी याचिका ऑनलाइन दाखिल कर सकता है। इसके लिए झारखंड ई-कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (जेईसीएमएस) बनाया गया है। अगर किसी को याचिका दाखिल करनी है, तो उसे हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जाकर जेईसीएमएस के आइकन को क्लिक करना होगा। इसके बाद व्यावसायिक कोर्ट की साइट खुलेगी। या फिर कॉमर्शियल कोर्ट डॉट झारखंड डॉट जीओवी डॉट इन पर जा सकते हैं। जिसमें रजिस्ट्रेशन करने के बाद आप याचिका दाखिल कर सकते हैं।
सभी कार्य को पेपरलेस बनाने की चल रही तैयारी : झारखंड हाईकोर्ट ने अगले साल तक पूरे हाईकोर्ट को पेपरलेस करने की योजना बनायी है। इसका ट्रायल भी मई में किया गया था। मई में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने बिना फाइल और किसी दस्तावेज के मामलों की सुनवाई की थी। सभी दस्तावेज डिजिटल थे और लैपटॉप पर ही जजों ने देखा था। ट्रायल सफल रहने के बाद अब पूरे कोर्ट को पेपरलेस बनाने पर काम हो रहा है।
डिजिटल होने के फायदे
केस का रेफरेंस आसानी से मिलेगा
केस नंबर से पुराने रिकॉर्ड भी आसानी से मिलेंगे
रिकॉर्ड निकालने में विलंब नहीं होगा
सभी रिकॉर्ड हमेशा सुरक्षित रहेंगे
मामलों का पता लगाने के लिए कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना होगा !
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