
NHRCCB द्वारा आरटीआई, साक्ष्य और पंचायती राज अधिनियम: नागरिकों के अधिकारों को समझना” विषयक वेबिनार का सफल आयोजन।
नई दिल्ली/ ब्यूरो रिपोर्ट: राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनएचआरसीसीबी) ने “आरटीआई, साक्ष्य और पंचायती राज अधिनियम: नागरिकों के अधिकारों को समझना” विषय पर एक वेबिनार का सफल आयोजन किया। इस वेबिनार का उद्देश्य नागरिकों को उनके अधिकारों, कानूनी प्रावधानों और शासन में पारदर्शिता के महत्व के बारे में जागरूक करना था।
एनएचआरसीसीबी के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रणधीर कुमार मार्गदर्शन में बेबीनार आयोजन हुआ। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष जतिंदर पाल सिंह, लीगल एंबिट के संस्थापक एवं एनएचआरसीसीबी के राज्य सलाहकार महावीर पारीक , सह संस्थापक सरदार तारा सिंह जैसे प्रतिष्ठित वक्ताओं ने हिस्सा लिया। एवं बेबीनार का संचालन श्री प्रभात मिश्र जी ने किया
जतिंदर पाल सिंह ने अपने उद्घाटन संबोधन में इन अधिनियमों के महत्व और नागरिक सशक्तिकरण में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। महावीर पारीक ने तीनों अधिनियमों—सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, और पंचायती राज अधिनियम—पर संक्षिप्त परिचय कराया एवं सरदार तारा सिंह ने भी आरटीआई और पंचायती राज अधिनियमों के व्यावहारिक पहलुओं और उनके महत्व पर विस्तृत और गहन जानकारी प्रदान करते हुए मूल्यवान दृष्टिकोण साझा किए।
अधिनियमों की संक्षिप्त जानकारी:
– **सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005:** यह अधिनियम नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है, जिससे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है। यह भ्रष्टाचार को कम करने और लोकतंत्र को मजबूत करने का एक शक्तिशाली उपकरण है।
– **भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872:** यह कानून न्यायिक प्रक्रियाओं में साक्ष्य की स्वीकार्यता, प्रासंगिकता और मूल्यांकन को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि अदालतों में केवल विश्वसनीय और प्रासंगिक साक्ष्य ही प्रस्तुत किए जाएं, जिससे न्यायिक निर्णय निष्पक्ष हों।
– **पंचायती राज अधिनियम, 1992:** 73वें संविधान संशोधन के तहत, यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को सशक्त करता है। पंचायतों को विकास, योजना और निर्णय लेने की शक्तियां प्रदान कर यह ग्रामीण भारत में लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है।
वेबिनार का समापन एक आकर्षक प्रश्नोत्तरी सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और वक्ताओं ने उनके सवालों के स्पष्ट और उपयोगी जवाब दिए।
**मुख्य आकर्षण:**
– आरटीआई, भारतीय साक्ष्य और पंचायती राज अधिनियमों पर विस्तृत चर्चा
– विशेषज्ञ वक्ताओं से कानूनी और व्यावहारिक जानकारी
– इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तरी सत्र के माध्यम से जागरूकता और भागीदारी
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वेबिनार की प्रशंसा की और कहा कि यह आयोजन नागरिकों के अधिकारों और शासन में पारदर्शिता के महत्व को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से नागरिकों में जागरूकता बढ़ती है और वे अपने अधिकारों के प्रति अधिक सजग हो पाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनएचआरसीसीबी) की यह पहल सराहनीय है और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के माध्यम से नागरिकों को जागरूक करने का प्रयास जारी रहेगा।
**एनएचआरसीसीबी के बारे में:**
राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनएचआरसीसीबी) मानवाधिकारों की रक्षा, अपराध नियंत्रण और शासन में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक प्रमुख संगठन है। यह नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
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