नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को साकार करता राँची विश्वविधालय : डॉ अजीत सिन्हा
21 वीं शताब्दी मानव सभ्यता के ज्ञान विस्फोट की अवस्था बताई जा रही है। मनुष्य की असीम जिज्ञासु प्रवृति ने जिस भव होती है। ज्ञान ज्योति को प्रज्वलित किया है उसका सतत् विस्तार हो रहा है। किसी भी समाज में ज्ञान के प्रसार की प्रक्रिया शिक्षा के माध्यम से ही सं शिक्षा दोहरी तलवार होती है ,जिसमें विकास और विनाश दोनों के बीज निहित होते हैं। शिक्षा के सदुपयोग से जहां किसी भी समाज को चरम उत्कर्ष तक पहूँचाया जा सकता है, वहंीं इसके दुरुपयोग से किसी भी राष्ट्र को पतन के रसातल में ढकेला जा सकता है। भारत राष्ट्र इसका अप्रतीम उदाहरण है। अपनी ज्ञान विरासत के द्वारा पूरे विश्व को अपना लोहा मनवाने वाला विश्वगुरु भारत शिक्षा के पतन के कारण ही औपनिवेशिक जंजीरों में जकड़ा गया। मैकाले की शिक्षा पद्धति ने भारतीयों के रुप में ऐसे ब्रिटिश मानस पुत्रों को पैदा किया जो अपना स्वरुप भूलकर अपने ही राष्ट्र के विरोध में ही खड़े हो गये। स्वतंत्रता के पश्चात् भी भारत में शिक्षा को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से नहीं जोड़ा गया जिससे समाज में विखण्डकारी तत्वों को प्रश्रय मिला। राष्ट्र निर्माण में शिक्षा के महत्व को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान् नरेन्द्र्र मोदी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाई गई। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व्यक्ति तथा समाज के सर्वांगीण विकास पर केन्द्रित है। जिसके अन्तर्गत न केवल शिक्षा के विषय वस्तु में परिर्वतन किया गया अपितु शिक्षा विधि को विद्यार्थी केन्द्रित बनाने का प्रयास किया गया है। वास्तव में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल उदेश्य शिक्षा को सर्वसमावेशी बनाना है) जिसमें व्यक्ति बिना किसी जाति, धर्म, और प्रजातिगत् भेद-भाव शिक्षा के समान अवसर प्राप्त कर सकेगा। इसके लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में चार मूूल उद्देश्य निर्धारित किये गये हैं-प्रवेशन, साम्यता, वहनीयता और उत्तरदायित्वपूर्णता। इसके साथ-साथ भारत की गौरवशाली संास्कृतिक विरासत को देखते हुए इस नीति को प्राचीन ज्ञान परम्परा के पुनरोत्थान पर केन्द्रित किया गया है। वास्तव में इस शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य भारत को विकसित राष्ट्र के रुप में पुनर्प्रतिष्ठित करना है।
झारखण्ड़ के छोटानागपुर पठार के प्राकृतिक सुषमा के गोद में अवस्थित रांची विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला झारखण्ड़, राज्य का प्रथम विश्वविद्यालय है।
अगस्त 2022 से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत रांची विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के नामांकन प्रारंभ हो चुके हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में झारखण्ड का अग्रणी प्रतिष्ठित संस्थान होने की महती जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए रांची विश्वविद्यालय द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन हेतु व्यापक प्रचार प्रसार के लिये कई संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हमारे शिक्षकों ने पूरे झारखण्ड़ के विश्वविद्यालयों के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरुप एकीकृत पाठ्यक्रम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मूल उद्देश्य शिक्षण संस्थानों को बहुल अनुशासनात्मक बनाना है। देश में अबतक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध के गुणवता के अनदेखी की गई है। गुणवतापूर्ण शोध को बढ़वा देने के लिये इस नीति में राष्ट्रीय शोध फाउण्डेशन की स्थापना करने का लक्ष्य है। रांची विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवतापरक, नवीन, प्रसांगिक और क्रियाशील शोधांे के प्रति उच्च प्रतिबद्धता रखता है। विश्वविद्यालय में आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित शोध के उच्च मानकों को बनाये रखने के लिये शोधार्थियों के शोध प्रस्ताव शोध गंगोत्री पर तथा शोध प्रबंधों को शोध गंगा पर अपलोड किया जा रहा है ताकि किसी भी प्रकार के साहित्यिक चोरी की संभावना से बचा जा सके। शोध को गुणवत्तापरक बनाने की दिशा में ही विशेष शोध केन्द्र तथा पब्लिकेशन डिविजन की स्थापना की गई है, जहां शिक्षकों तथा शोधार्थियों को शोध के क्षेत्र में उचित दिशा निर्देश तथा प्रकाशन के लिये उच्च स्तर की सुविधा प्रदान की जा रही है।
रांची विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर और नियोक्ता बनाने के उद्देश्य से व्यावसायिक शिक्षा के प्रोत्साहन की दिशा में भी प्रमुखता से कार्य कर रहा है। भारत सरकार की डिजिटल भारत योजना के अन्तर्गत दिसम्बर, 2022 में रांची विश्वविद्यालय के लगभग सभी महाविद्यालयों और विभागों में काॅमन सर्विस सेन्टर की स्थापना की गई जहां विद्यार्थी अपनी सभी जरुरी सूचनायें शीघ्रता से और डिजिटल रुप में प्राप्त कर रहे हैं। इसके साथ ही दिसम्बर, 2022 में ही भारत सरकार की सी. एस. ई. एजुकेशन सर्विस के साथ एम.ओ.यू. करने वाला रांची विश्वविद्यालय झारखण्ड का प्रथम विश्वविद्यालय बना जिसका उद्देश्य व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में अल्पावधि रोजगारपरक पाठ्यक्रमों को देश के प्रतिष्ठित संस्थानो के द्वारा बेहद कम शुल्क अथवा निःशुल्क उपलब्ध कराना है। भारत सरकार की स्टार्टअप योजना के अन्तर्गत रांची विश्वविद्यालय ने एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किया है। इसका मूल उद्देश्य अपने विद्यार्थियों को हुनरमंद और कौशलपूर्ण बनाना है। इसके अन्तर्गत लगभग पाँच करोड़ के कोष से इन्नोवेशन सेंटर की स्थापना का प्रयास किया जा रहा है। यह विद्यार्थियों के उद्यमशील, नवोन्मेषी, आत्मनिर्भर, कौशलपूर्ण, और सशक्त बनाने में सफल होगा। रांची विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की 102 ईकाईयों के माध्यम से अपने विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकार वाले मुद्दों पर संवेदनशील बनाने हेतु प्रयासरत है।
रांची विश्वविद्यालय भाषा के क्षेत्र में रोजगारपरकता को देखते हुए जापान तथा अन्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ एम. ओ. यू. करके अन्तर-भाषायी अध्ययन को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही साथ झारखण्ड़ राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं तथा लिपियों के प्रोत्साहन, संरक्षण और संवर्द्धन के लिए नौ क्षेत्रीय भाषाओं के पृथक-2 विभाग स्थापित करके झारखण्ड की बहुरंगी पहचान को साकार करने का प्रयास किया जा रहा है। खेलकूद, कला तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में देश भर के विश्वविद्यालयों के साथ रांची विश्वविद्यालय विनिमय कार्यक्रम चला रहा है ताकि झारखण्ड के युवा विद्यार्थी देश की विविधतापूर्ण गतिविधियों, संस्कृति, शिक्षा, कला आादि से अवगत हो सकंे। इसी कड़ी में वर्ष 2023 में पत्रकारिता एवम् जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों का एक दल मुम्बई विश्वविद्यालय की गतिविधियों, कला और संस्कृति से अवगत हुआ ।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब समाज के निचले पायदान पर खड़े ग्रामीण, आदिवासी, दलित और वंचित वर्ग के विद्यार्थियों को गुणवतापूर्ण सार्वजनिक शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके। रांची विश्वविद्यालय इस दिशा में पूरी ऊर्जा के साथ सतत् प्रयासरत है। रांची विश्वविद्यालय के अन्तर्गत भारत सरकार के पांच आंकांक्षी जिले (खूंटी, राँची, गुमला,लोहरदगा, सिमडेगा) आते हैं जो आदिवासी बाहुल्य के साथ-साथ अशिक्षा, बेराजगारी, मानव तस्करी, पलायन, बाल व महिला अपराध आदि जैसी समस्याओ से घिरे हैं। अपने अंगीभूत महाविद्यालयों के माध्यम से रांची विश्वविद्यालय इस क्षेत्र की समस्याओं और चुनौतियों पर बारीकी से काम करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने हेतु प्रतिबद्ध है। झारखण्ड के महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति श्रीमान सी. पी. राधाकृष्णन के कुशल मार्गदर्शन और निर्देशन में रांची विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक सुनिश्चित योजना के अन्र्तगत कार्यरत है। बहुत शीघ्र ही आने वाले दिनों में इसके सुखद परिणाम प्राप्त होने लेेगेंगे। निःसंदेह भारत को विश्वगुरु और विकसित राष्ट्र बनाने का माननीय प्रधानमंत्री का संकल्प सार्वजनिक शिक्षा तंत्र को विद्यार्थी केन्द्रित, शोध केन्द्रित, संस्कार केन्द्रित, कौशलपरक, सर्वसुलभ और नवचारी बनाकर ही प्राप्त किया जा सकता है I
लेखक राँची विश्वविधालय राँची के कुलपति हैं I
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