शास. महावि. मलांजखंड में विश्व बैंक परियोजना अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न।

शास. महावि. मलांजखंड में विश्व बैंक परियोजना अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न।

डाॅ.सुधन्वा सिंह नेताम शासकीय महाविद्यालय मलाजखण्ड में विश्वबैंक परियोजना एवं MPHEQIP “एकेडमिक एक्सीलेंस” के अंतर्गत IQAC के तत्वाधान में “आधुनिक भारत में बदलते पर्यावरणीय स्वरूप एवंमुद्दे” विषय पर दिनांक 10 जनवरी 2023 को एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करते हुए सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । इस राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में व्याख्यान प्रस्तुत करने हेतु विषय विशेषज्ञ के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रतिष्ठित विशेषज्ञ प्राध्यापकों एवं शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया । राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ सत्र माननीय श्री भगत सिंह नेताम जी ( अध्यक्ष जनभागीदारी समिति) एवं मुख्य संरक्षक के मुख्य अतिथ्य एवं प्रमुख वक्ताओं की उपस्थिति में संपन्न हुआ । संगोष्ठी की शुरुआत में संस्था के प्राचार्य डॉ. एम.के.धुर्वे द्वारा राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के उद्देश्य एवं रुपरेखा प्रस्तुत की गई ।मुख्य अतिथि के रूप में माननीय श्री भगत सिंह नेताम जी द्वारा अपने वक्तव्य में भगवान शब्द से प्रकृति और पर्यावरण की सुंदर व्याख्या प्रस्तुत कर पर्यावरण संरक्षण में सभी के व्यक्तिगत योगदान हेतु सभागार में उपस्थित समस्त आगंतुकों और छात्र – छात्राओं से अपील भी की गई । इसी तारतम्य में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र में क्रमशः डॉ. प्रेमानंद बी. मेश्राम वैज्ञानिक ( सेवानिवृत्त) साकोली जिला भण्डारा महाराष्ट्र राज्य द्वारा “आधुनिक भारत में वनों पर बदलते जलवायु परिवर्तन एवं आशय” विषय पर अपने विशेषज्ञ व्याख्यान में प्रस्तुत करते हुए अपने वक्तव्य मे पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम हेतु प्लास्टिक के फूलों, वस्तुओं के अति उपयोग को त्यागकर प्राकृतिक फूलों और मिट्टी की वस्तुओं के उपयोग के लिए प्रेरित किया तथा फसलों में कितनाशक रसायनिक पदार्थों के उपयोग को कम कर परंपरागत खेती करने को प्रोत्साहित किया । इसी तरह द्वितीय वक्ता, विषय विशेषज्ञ डॉ. निखत खान सहायक प्राध्यापक ( राजनीति विज्ञान ) राजा भोज शासकीय महाविद्यालय कटंगी जिला बालाघाट द्वारा “पर्यावरण संरक्षण के संवैधानिक प्रावधान” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को बतलाते हुए पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 21 जीने के अधिकार, 42 वें संविधान संशोधन, नीति निर्देशक तत्वों अनुच्छेद 48-A की सारगर्भित व्याख्या करते हुए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम – 1986 और स्टॉकहोम सम्मेलन में 05 जून को प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने के संकल्प की भूमिका की विस्तृत व्याख्या की । इसी तरह संगोष्ठी के द्वितीय तकनीकी सत्र के प्रमुख वक्ता श्री हिम्मत सिंह अरमो व्याख्याता (एम.ओ.एम.) शासकीय कन्या महाविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा ” कोविड – 19 का पर्यावरण पर प्रभाव : भारत के सन्दर्भ में ” विषय पर अपना विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कोविड -19 का पर्यावरण पर सकरात्मक एवं नकारात्मक दोनो ही प्रकार के प्रभावों की व्याख्या की तथा इनसे मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव और विभिन्न बदलावों की सारगर्भित व्याख्या कर सभागार में उपस्थित समस्त अतिथियों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और छात्र – छात्राओं को पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने हेतु मार्ग प्रशस्त किया । इस राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में विभिन्न स्थानों एवं महाविद्यालयों से आए प्रतिभागी शोधार्थियों तथा प्राध्यापकों द्वारा क्रमवार अपने – अपने विषय पर शोध पत्र का प्रस्तुतीकरण किया गया । इस तरह आमंत्रित वक्ताओं द्वारा वैश्विक विमर्श पर्यावरण संरक्षण पर व्याख्यान प्रस्तुति से राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण हेतु नवीन सकारात्मक मार्गदर्शी परिणाम आने की प्रबल संभावना है । यह राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी प्रातः 10 बजे से शाम 5 बजे के मध्य संपन्न हुआ जिसमे स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर के शोधार्थी, सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक एवं महाविद्यालयीन छात्र – छात्राओं ने प्रतिभागी के रूप में शामिल होने तथा शोध पत्रों को प्रस्तुत करने के अवसर प्राप्त हुए। इस राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में संरक्षक संस्था के प्राचार्य डॉ.एम.के.धुर्वे, संयोजक स्वाति सिंह (सहायक प्राध्यापक, रसायनशास्त्र), सह – संयोजक श्री संदीप कुमार गेड़ाम (सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र), सचिव श्री एस. एल.मंडावी (सहायक प्राध्यापक,हिंदी एवं प्रभारी IQAC), सह – सचिव रुपेश कुमार मेश्राम (अतिथि विद्वान,राजनीति विज्ञान) एवं समस्त आयोजन समिति की विशिष्ट भूमिका रही। इस राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शोधार्थियों, प्राध्यापकों, पर्यावरणविदों एवं संस्था के विद्यार्थियों की अधिकाधिक सहभागिता और संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए संस्था प्राचार्य डॉ.एम.के.धुर्वे द्वारा आभार व्यक्त किया गया ।ज्ञात हों कि, महाविद्यालय स्थित क्षेत्रांतर्गत मलांजखंड कॉपर प्रोजेक्ट, कन्हा नेशनल पार्क और सघन वनांचल भाग सुसज्जित होने से पर्यावरण संरक्षण आधारित विषय पर उक्त राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य महत्वपूर्ण रहा जो की इस क्षेत्र में अब तक का यह प्रथम आयोजन माना जा रहा है ।

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