नवरात्र का सातवां दिन: मां कालरात्रि की आराधना,ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
झारखण्ड संवादाता /दशरथ विश्वकर्मा
मां दुर्गा के सातवें स्वरूप को मां कालरात्रि के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि मां का काले स्वरूप के कारण ही इनका नाम कालरात्रि पड़ा। इन्हें तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है। कालरात्रि होने के कारण ऐसा विश्वास है कि ये अपने उपासकों को काल से भी बचाती हैं अर्थात् उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इन्हें सभी सिद्धियों की भी देवी कहा जाता है, इसलिए सभी तंत्र मंत्र के उपासक इस दिन इनकी विशेष रूप से पूजा करते हैं। इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत, प्रेत, राक्षस, दानव और सभी पैशाचिक शक्तियां भाग जाती हैं। माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने वाले साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है।
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