नवरात्र का चौथा दिन: आदिशक्ति मां कूष्माण्डा की आराधना,सुरासम्पूर्ण कलशं रूधिराप्लुतमेव च

झारखण्ड संवादाता/दशरथ विश्वकर्मा

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। 29 अगस्त को नवरात्रि का चौथा दिन है। देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं। जगत जननी मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद हंसी द्वारा संपूर्ण कूष्मांडा को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। जब ब्रम्हांड नहीं था, चारो तरफ केवल अंधकार ही अंधकार था, तब इन्होने अपनी मंद हंसी से ब्रम्हांड की रचना की थी। इसीलिए इन्हे ही सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्ही में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य के सामान दिव्यमान है।

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



जवाब जरूर दे 

सरकार के नये यातायात नियमों से आप क्या है ? जवाब जरूर दे ,

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Close
Website Design By Bootalpha.com +91 82529 92275
.